कहते है, अगर आपका होंसला जवान हो, तो फिर उम्र को क्या आंकना। और बात बिलकुल सही भी है। अगर आपकी उम्र ज्यादा भी है, मगर आपकी इच्छा शक्ति सही है, तो आप अपने जीवन में बेहतर हो। और इस बात के लिए आपको किसी भी प्रकार की प्रमाणिकता देने की ज़रूरत नहीं है। एक दादी जिनकी उम्र करीब 100 साल है ,वो 1981 में ही अपने टीचर के पद से रिटायर हो चुकी है, लेकिन उनके पढ़ाने का जूनून अब भी वैसा है है, जैसा की पहले था। और वो आज भी कई बच्चो को पढ़ाती है। उन्हें शिक्षा देती है। और कमाल की बात तो ये है, कि लक्ष्मी टीचर उम्र के इस पड़ाव में भी खुद को असहाय महसूस नहीं करती है। और अच्छे से अपने सारे कार्य करती है। उन दादी का नाम है लक्ष्मी टीचर। जो की करीब 100 साल की है।
1981 में हो गयी थी रिटायर लक्ष्मी टीचर
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो लक्ष्मी जी के टीचिंग करियर की शुरुआत 1942 में शारदा विद्यालय स्कूल, गोबीचेट्टीपलयम से हुई थी। जहाँ पर वो विशेष तौर से हिंदी को गहन विषय के रूप में पढ़ाया करती थी। और उन्हें अपने अब तक के जीवन में करीब 80 साल तक का टीचिंग एक्सपीरियंस है। और उनके द्वारा पढ़ाये गए विषय आज भी उनके विद्यार्थी मानते है। और काफी साल और समय टीचिंग में देने के के बावजूद साल 1981 में वो रिटायर हो गयी। लेकिन आज तक भी उन्होंने बच्चो को पढ़ाना नहीं छोड़ा। और वो पुरे मन से आज भी 100 साल पुरे होने के बाद भी शिक्षक के रूप में अग्रसर है। और बच्चो को पढ़ाती है।
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पति भी रहे शिक्षक
लक्ष्मी के पति सी पी सुंदरेस्वरन भी एक शिक्षक थे। और इन दोनों ने उडुमालपेट के कराट्टूमदम स्थित गांधी कला निलयम में पढ़ाना शुरु किया। और रिटायर होने के तुरंत बाद से ही लक्ष्मी ने पढ़ाना शुरू किया। वैसे तो लक्ष्मी 8 वी तक के सारे विषय पढ़ा लेती है। लेकिन उनका सबसे ज्यादा मन पसंद विषय हिंदी रहा है। उन्हें हिंदी से बेहद लगाव था। और उनके पास करीब 80 साल का हिंदी शिक्षण अनुभव भी है। जिसके कारण आज भी उनके पास कई छात्र हिंदी पढ़ने आते है।
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