सफलता का मुकाम हासिल करना इतना मुश्किल नहीं होता ,अगर लगन सच्ची हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं है बस किसी भी काम को करने की नियत साफ़ होनी चाहिए। और सफलता के लिए निरंतर प्रयास आपको आगे ले ही जाता है। और हालातों का सिलसिला भी चलता ही रहता है। वक़्त कभी बुरा होता है, तो कभी अच्छा बस शर्त होती है, खुद को ढालने की, और व्यवहार न बदलने की। आज हम आपको बिहार के लाल विकास कुमार की एक प्रेरणा दायक कहानी बताने वाले है ,जिन्होंने बहुत सी मुश्किलों को देखा, लेकिन हार नहीं मानी ,बल्कि उन्हें अंग्रेजी न आने की वजह से हसी का पात्र भी बनना पड़ गया था। लेकिन आज उन्ही की एक कम्पनी डीजीटून्स देश की ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे सफल कम्पनी में शुमार हो गयी है। और उनकी ये सफलता उन्हें उनकी मेहनत और कड़े लगातार प्रयासों की बदौलत मिली है। बस उन्होंने हिम्मत नहीं छोड़ी।
दिल्ली में की सरकारी नौकरी
जैसा कि कई व्यक्ति की ख्वाहिश होती है, कि सरकारी नौकरी मिल जाए, और विकास की इच्छा भी शुरुआत में कुछ ऐसी ही थी। उन्होंने कॉलेज पूरा होने के बाद दिल्ली में ही एक सरकारी नौकरी का पद प्राप्त कर लिया। जिसमे उन्होंने अपना प्रदर्शन बहुत अच्छा रखा। और सभी को चौंकाया भी। क्योकि विकास कुमार ने अपनी मेहनत और अच्छे काम से लीडर का पद भी हासिल कर लिया। और कई सरकारी पदों के प्रोजेक्ट के लिए कार्य किया। उनके काम को देखते हुए उन्हें IT मंत्रालय की ओर से सम्मान भी प्राप्त किया गया।
विकास कुमार ने साल 2008 में लिया नौकरी छोड़ने का फैसला
विकास नौकरी तो कर रहे थे ,लेकिन वो जीवन में कुछ बड़ा करने का हुनर रखते थे। और वो अपना खुद का कुछ स्टार्ट अप करना चाह रहे थे। फिर उन्होंने साल 2009 में डीजीटून्स की शुरुआत की, जो कि एक एनिमेटेड कम्पनी थी। और उन्होंने उस कम्पनी में काफी निवेश किया था। लेकिन उस व्यवसाय के दबाव को उनके मित्र नहीं सह पा रहे थे। जिस वजह से उन्होंने विकास का साथ बीच में ही छोड़ दिया। और अपने निवेश को वापस मांगने लगे, जो कि करीब 22 लाख रुपए था ,जिसके लिए विकास ने बचत करनी शुरू कर दी। और कुछ ही समय बाद उन्होंने वादे के मुताबिक पैसे वापस कर भी दिये।
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खड़ी कर दी 300 करोड़ रुपए की कम्पनी
जब विकास के दोस्तों ने उनका साथ छोड़ दिया, तो विकास ने भी हिम्मत नहीं हारी। और उन्होंने खुद के बलबूते पर अपनी खुद की कम्पनी को आगे बढ़ाया। और उसमे दिन भर दिन लाभ कमाते रहे। और आज वही कम्पनी 300 करोड़ रुपए से भी के मुनाफे में है। और करीब 400 लोगों को भी रोज़गार दे रही है। और कभी अंग्रेजी की वजह से भी विकास का मजाक बनाया गया था। लेकिन उन्होंने आज अपनी मेहनत के दम पर ही अपनी उस कमी को भी दूर किया। और आज देश विदेश के कई जगह से अपना व्यापार चला रहे है।
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