आजकल पर्यावरण के प्रति कुछ हद तक जागरूकता आ रही है। क्योकि हर तरह से पॉलीथिन हमे नुकसान ही करती है। और हमेशा हमें हानि ही पहुँचाती है। फिर भी कुछ हो लेकिन दुनिया के ऐसे बहुत लोग है , जिन्होंने पर्यावरण के प्रति चिंता ज़ाहिर की है। और वैसे हर तरह से मनुष्य भी इसके प्रति सजग हो गया है। और ये समझने लगा है कि, प्लास्टिक कितनी जयादा नुकसान दायक होती है। लेकिन कई बार जानते बुझते हुए भी हम लोग न जाने ही कितनी प्लास्टिक का प्रयोग कर बैठते है। लेकिन ऐसे में सरकार के कुछ अहम और महत्वपुर्ण कदम को जानना आवश्यक हो जाता है। हम सभी जानते है कि, प्लास्टिक बैन हो चुकी है।लेकिन कई रेस्टॉरेंट में banana leaf जहाँ पर दोने पत्तल के प्लेटो में अपनाया जा रहा है। वहीँ पर इस देश में थर्मोकोल के प्रयोग पर भी पाबंधी लग चुकी है। और इस समय आप बिहार के कई रेस्टुरेण्ट में देख सकते है, जहाँ पर केले और मक्का के पत्तो से बने प्लेट कटोरी और गिलास का प्रयोग देख सकते है।
बिहार के बाज़ारो में बिकने लगा है केले से बने सामान
बता दे कि, बिहार के गया नामक स्थान पर आपको केले और मक्के के पत्तो से बने बर्तन देखें को मिल जायेंगे। इसका प्रयोग शुरू भी होने लगा है। और वहां पर इसका चलन भी तेजी से हो रहा है। और वाकई ही अचम्भे की बात तो ये है, कि लोगो में इसका प्रयोग बड़े ही शोक से किया जा रहा है।
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एक अच्छा विकल्प है (banana leaf) केले और मक्के के पत्ते के ये बर्तन
बता दे कि, सरकार द्वारा केले और मक्का के पत्ते से बने इन बर्तनो का प्रयोग एक अच्छा और बेहतर विकल्प है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी, और धार्मिक दृष्टि से भी। क्योकि इसका प्रयोग काफी पुजा के रूप से धार्मिक और अच्छा माना जाता है। और इसका चलन भी बहुत तेजी के साथ हो रहा है। क्योकि ये बर्तन और पत्ते की प्लेट का प्रोयग न सिर्फ किफ़ायती है, बल्कि पर्यावरण के बचाव क लिए भी बढ़िया है। और ये एक अच्छा विकल्प भी है नए व्यापार का।
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