कभी सोडा बेचने से शुरू हुए काम को पहुंचा दिया आइसक्रीम के बेहतरीन ब्रांड तक, गुलाम भारत के समय शुरू हुआ ये काम, कैसे बन गया आज़ाद भारत की पहचान

एक ब्रांड बनने से पहले कोई भी काम साधारण ही होता है। लेकिन उसे ब्रांड बनाने के पीछे बहुत सी मेहनत और संघर्ष होता है। लेकिन हर स्टार्ट अप के पीछे की कुछ न कुछ कहानी ज़रूर होती है। और कहते है न कि, संघर्ष करके ही एक पहचान बनती है। और हर इंसान को कभी न कभी तो खुद को स्थापित करने के लिए जद्दो जहत करनी पड़ती है। और कड़े संघर्षो के बल पर ही वह खुद को बना पाता है। आज हम जिस ब्रांड की ब्रांड बनने की कहानी लेकर आये है, उसने विश्व में भी अपनी एक खास पहचान बनायीं हुई है। और उस ब्रांड का नाम है “वाडीलाल आइस क्रीम”। जो कि आज देश भर में ही नहीं, बल्कि विश्व भर में प्रसिद्ध है। वाडीलाल की आइस क्रीम आज जगह जगह पर मशहूर है। और विश्व भर में कई देशो में वाडीलाल के ब्रांड मशहूर हो चुके है। इसकी शुरूआत की थी वाडीलाल गांधी ने। जिन्होंने सिर्फ एक मामूली से सोडा लगाने के ठेले से इसकी शुरुआत की थी।

साल 1907 में अहमदाबाद से ताल्लुक रखने वाले वाडीलाल गाँधी ने इस ब्रांड की शुरुआत की थी।
साल 1907 में अहमदाबाद से ताल्लुक रखने वाले वाडीलाल गाँधी ने इस ब्रांड की शुरुआत की थी।

गुलाम भारत के समय की कपंनी है vadilal

वाडीलाल की शुरुआत हुई थी, 1907 में, जब भारत देश अंग्रेज़ो के अधीन था। और उस वक़्त सिर्फ हाथ से ही पारंपरिक तौर से सिर्फ दूध बर्फ और नमक को एक साथ मथने के बाद आइस क्रीम तैयार करने का अनोखा प्रचलन था। और आज वही कम्पनी, वाडीलाल के रूप में स्थापित हो चुकी है। और 200 से भी ज्यादा स्वाद पेश कर रही है। जो कि सभी को बहुत पसंद आ रहा है।

कभी सोडा बेचने से हुई थी वाडीलाल की शुरुआत
कभी सोडा बेचने से हुई थी वाडीलाल की शुरुआत

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कभी सोडा बेचने से हुई थी वाडीलाल की शुरुआत

साल 1907 में अहमदाबाद से ताल्लुक रखने वाले वाडीलाल गाँधी ने इस वाडीलाल ब्रांड की शुरुआत की थी। और उन्होंने इस काम की शुरुआत एक साधारण तरीके से रोड पर ही सोडा लगाने से की थी। और धीरे धीरे वाडीलाल गाँधी ने आइस क्रीम भी बनानी शुरू कर दी थी। जो कि आज करीब 650 से भी ज्यादा करोड़ का ब्रांड बनकर उभर चुका है। और लाखों नहीं करोड़ो लोगों को इसका स्वाद बहुत पसंद आता है। और आज ये vadilal कम्पनी करोड़ो के टर्न ओवर के साथ खुद की एक नई पहचान बना चुकी है।

लाखों नहीं करोड़ो लोगों को इसका स्वाद बहुत पसंद आता है।
लाखों नहीं करोड़ो लोगों को इसका स्वाद बहुत पसंद आता है।

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