कई बार परिस्थियाँ इतनी मुश्किल हो जाती है, कि उनका समाधान निकालना बहुत मुश्किल हो जाता है। और अगर बात कठिनाईयो की हो, तो शायद उसका कोई हिसाब नहीं लगा सकता है। क्योकि अक्सर इंसान अपने संघर्ष में इतना खो जाता है, कि वह स्वयं के लिए समय नहीं निकाल पाता है। लेकिन हमारे समाज में आज भी कहीं न कहीं पर रूढ़िवादी सोच विद्यमान है ,जिस कारण से बहुत लोगों को अपनी सफलता से पहले इन सबसे मुश्किल संघर्षो से लड़ना पड़ता है। जैसे कि समाज में विद्यामन रूढ़िवादी सोच ! और उससे भी घातक परिवार में उस रूढ़िवादी सोचा का प्रभाव होना। एक ऐसी ही रूढ़िवादी परिवार से आती है वंदना चौहान। वंदना चौहान ने इन सबको पछाड़कर अपने लिए सफलता का मार्ग अग्रसर किया।
8 वी रैंक से पास की आईएएस की परीक्षा
बता दे कि, वंदना चौहान ने ये आईएएस की परीक्षा की तैयारी अपने पढ़ाई के तुरंत बाद शुरू कर दी थी। उनके पिता उन्हें बहुत सपोर्ट करते थे। जिस कारण उन्हें काफी हिम्मत मिली। और उन्होंने इस परीक्षा को पास कर ही लिया। और उन्होंने हिंदी माध्यम से इस परीक्षा की तैयारी करके इतनी अच्छी रैंक हासिल की थी। और उन्होंने upsc के लिए फैली इस धारणा को भी गलत साबित किया कि, हिंदी माध्यम वालो के लिए ये परीक्षा बहुत कठिन है।
हरियाणा की है आईएएस वंदना चौहान
बता दे कि, वंदना चौहान का जन्म हरियाणा में हुआ था। और उनका पालन पोषण एक रूढ़िवादी समाज में हुआ था। जहाँ पर वैसे तो सभी मॉडर्न थे, लेकिन लड़कियों की पढ़ाई को लेकर कई तरह के रूढ़िवादी सोच भी थी, कि जैसे महिलाए घर से बाहर नहीं निकल सकती , उन्हें ज्यादा पढ़ाई लिखाई नहीं करवानी वगेरा वगेरा। लेकिन वंदना के पिता जी इस बात को अच्छे से समझते थे। और जानते थे कि पढ़ाई का अपना एक अलग महत्व है। और इसी से सफलता सम्भव है। इसलिए उन्होंने वंदना को पढ़ाया।
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घर पर ही की सिविल परीक्षा की तैयारी
बता दे, कि वंदना ने अपनी शुरुआती शिक्षा हरियाणा से ही प्राप्त की थी। और उन्होंने लॉ की डिग्री के लिए भी पड़ाई घर से ही की। और वो ऑनलाइन किताबे मंगवाकर पढ़ती थी। और तैयारी कर रही थी। और उन्होंने आईएएस परीक्षा की तैयारी भी ग्रेजुएशन के बाद से ही शुरू कर दी थी। और पूरी मेहनत और लगन से आईएएस की परीक्षा पास की। और न सिर्फ पास की,बल्कि उसमें 8 वी रैंक भी हासिल की।
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