लोगों ने पागल कहकर पुकारा, लेकिन उनका जूनून नहीं रुका, और इस फसल की खेती से कर रहे है बेहिसाब कमाई

आज बहुत से लोग खेती की तरफ आ रहे है, और आधुनिक खेती को अपना रहे है, और अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर भी खेती को अपना रहे है, शायद वो खेती के महत्व को भी समझ रहे है, उसे अपना रहे है। कुछ लोग जो पढ़े लिखे है, वो भी खेती की नई नई तकनीक के साथ खेती करते है या फिर खेती के नए नए आईडिया के साथ खेती करते है और कुछ खास फसलों की खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे है और अपना जीवन स्तर में भी बदलाव कर रहे है। और एक ऐसे ही एक किसान है, गोपालगंज के कररिया गाँव के रहने वाले मेघराज प्रसाद जी, जिन्होंने खस की खेती करके सभी को चौंका दिया है है, और शुरुआत में सभी उनको पागल कहकर बुलाते थे, जिससे वो हताश नहीं हुए, बल्कि अपने होंसले को उन्होंने बनाये रखा, और अपना काम करते रहे। जिसके कारण वो आज यहां तक पहुंच गए है।

मेघराज नाम का ये किसान अपने करीब 20 एकड़ ज़मीन में खस नामक औषधी की खेती कर रहे है
मेघराज नाम का ये किसान अपने करीब 20 एकड़ ज़मीन में खस नामक औषधी की खेती कर रहे है

खस की खेती कर रहे है मेघराज प्रसाद

बता दे कि मेघराज नाम का ये किसान अपने करीब 20 एकड़ ज़मीन में खस नामक औषधी की खेती कर रहे है। और शुरुआत में उन्हें सभी पागल कहते थे। लेकिन उन्होंने इस बात की चिंता किये बिना अपने आप को सही साबित करके दिखाया है। और आज वो करीब पुरे साल का 20 लाख रुपया तक कमा लेते है। क्योकि खस की डिमांड बहुत रहती है। और बहुत कम किसान इसकी खेती करते है। बाज़ार में इसकी डिमांड ज्यादा होने की वजह से ये काफी अच्छी कीमतों में बिकता है। खस एक ओषधि है,जो कई तरह की बीमारियों में काम में आता है।

मेघराज के अरुणाचल के एक दोस्त ने उन्हें ये खस की खेती का आईडिया दिया
मेघराज के अरुणाचल के एक दोस्त ने उन्हें ये खस की खेती का आईडिया दिया

दोस्त ने दिया इस फसल का आईडिया

बता दे कि मेघराज के अरुणाचल के एक दोस्त ने उन्हें ये आईडिया दिया, कि खस की खेती से बहुत सा मुनाफा कमाया जा सकता है। और साल भर में लाखों की कमाई की जा सकती है। क्योकि इसकी मांग आज के बाज़ार में भी बहुत रहती है। और फिर इसके बाद मेघराज ने ये देखा कि, उन्हें इस तरह का कोई एक्सपीरियंस नहीं था, न ही कोई विशेष ज्ञान इस बारे में है, लेकिन फिर उन्होंने इसका भी समाधान निकाल ही लिया और ट्रेनिंग करने की सोची।

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मेघराज ने लखनऊ में सीमैप रिसर्च सेंटर जाकर ट्रेनिंग ली।
मेघराज ने लखनऊ में सीमैप रिसर्च सेंटर जाकर ट्रेनिंग ली।

लखनऊ के सीमैप रिसर्च सेंटर से ट्रेनिंग ली

बता दे कि मेघराज प्रसाद को इससे पहले तक खस की खेती का कोई ज्ञान नहीं था। जिसके कारण मेघराज ने लखनऊ में सीमैप रिसर्च सेंटर जाकर ट्रेनिंग ली। और इसकी खेती की पूरे जानकारी हासिल की, साथ ही उन्होंने इसकी बारीकियों को भी समझा था। और उसके बाद खस की खेती शुरू की। और आज वो अपनी मेहनत के बल पर साल का लाखों रुपया कमाते है। और आसपास के गाँव के युवा किसानो को भी ट्रेनिंग दे रहे है।

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