महिलाओं के लिए आज भी खुद की पहचान बनाना बहुत मुश्किल है। क्योकि महिलाए आज आगे तो बढ़ रही है ,लेकिन समाज की सोच आज भी कहीं कहीं पुरुषप्रधान ही है। क्योकि महिलाओं को आगे बढ़ते देख हर कोई खुश नहीं होता है। लेकिन महिलाए भी इन सबकी परवाह किये बिना अपनी पहचान बना ही लेती है। लेकिन उन्हें अपने अस्तित्व की पहचान के लिए बहुत संघर्ष किया है। और इतिहास भी गवाह है इस बात का, कि नारी को हर युग में खुद को साबित करने के लिए लड़ना पड़ा है। और आज भी ऐसे कई जीते जागते उदाहरण हमे देखने को मिल जाते है, जिसमे एक नाम निकलकर आता है, उत्तराखंड की रहने वाली रमा बिष्ट का। जिन्होंने बुरांस की जैविक खेती करके न सिर्फ खुद को सक्षम बनाया है,बल्कि आसपास की गाँव की महिलाओं को भी रोज़गार देने का भी काम कर रही है। और उन्हे सशक्त भी बना रही है।
नैनीताल उत्तराखंड से है रमा बिष्ट
बता दे कि रमा बिष्ट ने नैनीताल के रामगढ़ ब्लाॅक के नथुवाखान गांव की रहनेवाली है। और उन्होंने बुरांस की खेती जैविक रूप से करके सभी को चौंका दिया है। और सबसे सशक्त महिला के रूप में अपने गाँव मे उभर चुकी है। और आज पहाड़ की महिला के लिए भी प्रेरणा बनकर उभर रही है। क्योकि वो एक महिला होते हुए भी किसी बिजनेसमैन की तरह मेहनत करके अपने आप को आत्म निर्भर बना चुकी है। और गाँव की ओर भी महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें सक्षम बना रही है ,जो वाकई तारीफ़ के काबिल है।
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बुरांस के उदपाद बनाकर बेचती है रमा बिष्ट
बता दे, कि रमा बिष्ट ने आसपास के 20 गाँव की महिलाओं से बुरांस खरीदकर उन्हें भी रोज़गार दे रही है। और उन बुरांस से जैम, चटनी, जूस, स्क्वैश सहित कई तरह के उत्पाद बनाती हैं, और उन्हें बेचकर व्यापार करती है। और मुनाफा कमा रही है है। और रमा ने साल 2013 में “एप्पल जोन” नाम से एक व्यापार की नींव रखी थी। और उसी व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास करती है।
बिज़नेस के दौरान जारी रखी पढ़ाई
रमा ने अपने बिज़नेस को चलते हुए ही अपनी पढ़ाई जारी रखी। और अपनी ग्रेजुएशन पूरी की थी। जो कि वाकई ही तारीफ के काबिल है। और रमा अपने पढ़ाई और बिज़नेस के आलावा महिलाओ के अधिकार के लिए भी कार्य करती है। और वो एक बार बीबीसी की मेंबर भी रह चुकी है।
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