बचपन में भाईयो को मरते हुए देखा, प्यास बुझानी थी, तो गटर तक का पानी पीना पड़ा, संघर्ष से बन गए देश के प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन

हम जीवन में कई संघर्ष की कहनियां पढ़ते है ,और समझते है, लेकिन कभी संघर्ष की गहराई को समझने का प्रयास किसी ने किया है ? शायद नहीं ! आप कल्पना भी नहीं कर सकते हो, कि कितना कठिन हो जाता है, यदि किसी को अपने अस्तित्व के लिए इतना लड़ना पड़े कि, मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी सुविधाये न मिल सके, और सुविधाएं होने पर भी , उनका प्रयोग न किया जा सके। ऐसा जाति दंश और भेद के मामले में होता आया है। क्योकि अक्सर देखा गया है कि छोटी जाति के लोगों को शुरू से ही बहुत प्रताड़ित किया जाता रहा है। क्योकि ऐसा माना जाता है कि ये छोटी जाति के लोग सम्मान के लायक नही है। लेकिन ये सभी धारणाये गलत है। और वक़्त ने ये इसे खुद भी गलत साबित किया है। एक हरिजन जाति में पैदा हुए डॉक्टर कुमार बहुलेयन ने भी इस हद तक इस दंश को झेला कि उन्हें प्यास लगने पर गटर का पानी तक पीने को मजबूर होने पड़ गया ,लेकिन अपने संघर्ष से डॉक्टर कुमार बहुलेयन आज देश के सर्व प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन बन गए है।

कुमार बहुलेयन का जन्म केरल के कोट्टायम ज़िले के छोटे से गाँव में एक हरिजन परिवार में हुआ था
कुमार बहुलेयन का जन्म केरल के कोट्टायम ज़िले के छोटे से गाँव में एक हरिजन परिवार में हुआ था

ऐसा रहा कुमार बहुलेयन का जीवन

कुमार बहुलेयन का जन्म केरल के कोट्टायम ज़िले के छोटे से गाँव में एक हरिजन परिवार में हुआ था। और कुमार का गाँव एक ऐसे इलाके में आता है, जहाँ बिजली पानी व्यवस्था नहीं थी। क्योकि वहां के सभी वर्ग एक छोटे जाति से ताल्लुक रखते थे ,जिस कारण जाति भेद की समस्या का बहुत सामना करना पड़ता था। यहाँ तक की हरिजन जैसे छोटी जाति के लोगों को साफ़ पानी तक पीने का अधिकार नहीं था। और उन्हें हर बड़ी जाति का व्यक्ति घृणित नज़रो से देखता था। कुमार को भी ऐसे ही माहौल में रहना पड़ा। और उन्हें भी प्यास बुझाने के लिए गटर का गन्दा पानी पीना पड़ता था।

कुमार ने न सिर्फ अपनी अलग पहचान बनायीं, बल्कि बहुत पैसा भी कमाया।
कुमार ने न सिर्फ अपनी अलग पहचान बनायीं, बल्कि बहुत पैसा भी कमाया।

भूख और गंदे पानी की वजह से खोये भाई बहन

कुमार ने अपनी आँखों के सामने अपने भाईयो बहनो को मरते हुए देखा। वजह थी, कई दिनों तक भूखे रहना और गंदे पानी से प्यास बुझाना। और इसी माहौल में कुमार ने भी बहुत सी बीमारियां झेली, जिसके कारण उन्हें भी बहुत परेशानियाँ हुई। और वो भी चेचक, हैजा टाइफाईड जैसी बीमारियां झेल चुके है। लेकिन उनकी पढ़ाई में बहुत रूचि थी, जिसके कारण उनके पिता ने उन्हें उन्ही के जाति के शिक्षक से पढ़वाया।

अपनी पढ़ाई जैसे तैसे पूरी करने के बाद कुमार ने स्कॉटलैंड जाकर न्यूरोसर्जन की पढ़ाई की।
अपनी पढ़ाई जैसे तैसे पूरी करने के बाद कुमार ने स्कॉटलैंड जाकर न्यूरोसर्जन की पढ़ाई की।

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डॉक्टर कुमार बहुलेयन स्कॉटलैंड से पढ़कर आये डॉक्टरी

अपनी पढ़ाई जैसे तैसे पूरी करने के बाद कुमार ने स्कॉटलैंड जाकर न्यूरोसर्जन की पढ़ाई की। और डिग्री हासिल करके भारत लौटे। भारत में सिमित सीटों की वजह से उन्हें नौकरी नहीं मिली। और फिर वो न्यूयोर्क चले गए ,और वहीँ बस गए। उन्होंने न सिर्फ अपनी अलग पहचान बनायीं, बल्कि बहुत पैसा भी कमाया। कभी गटर का पानी पीने वाला ये शख्स के पास आज खुद का प्राइवेट जेट भी है। और खुद का घर भी है। और डॉक्टर कुमार आज देश के सर्व प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन बन गए है।

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