खुद गरीबी देखी, पढ़ाई के खर्चे के लिए रिक्शा चलाया, दूध भी बेचा, मेहनत से बन गए शिक्षक, और रिटायर होने पर दान कर दिए 40 लाख रुपए गरीब बच्चो के लिए

शिक्षक और शिक्षा के महत्व के बारे में हम सभी जानते है। और शिक्षा के महत्व को भी समझते है। लेकिन क्या हमने कभी ये जाने की कोशिश की है कि, हर किसी को शिक्षा नहीं मिल पाती है। और कुछ हुनर मंद बच्चे भी इससे वंचित रह सकते है लेकिन कहते है ,कि शिक्षक एक दिये की तरह होता है, जो खुद अंधेरे में रहकर रोशनी देता है। एक ऐसे ही शिक्षक की आज हमे आपको कहानी बताएँगे। जिन्होने अपने सर्व श्रेष्ठ सालो में एक स्कूल में एक शिक्षक के तौर पर पढ़ाया, लेकिन रिटायर होने पर भी उन्होंने अपने PF का करीब 40 लाख रूपेय उसी स्कूल में बच्चो के बेहतर भविष्य के लिए दान में दे दिए है। जो कि बहुत सराहनीय बात है। क्योकि ऐसे बहुत ही कम शिक्षक होते है, जो ऐसा कर पाते है। क्योकि शिक्षण जीवन की कमाई दे देना आसान बात नहीं होती है। लेकिन शिक्षक ने ऐसा करके दिखाया है। उनका नाम है विजय कुमार चंसोरिया जी। जिन्होंने रिटायर होने के बाद करीब 40 लाख रुपए दान में दे दिए है।

मध्य प्रदेश के रहने वाले है विजय कुमार चंसोरिया जी
मध्य प्रदेश के रहने वाले है विजय कुमार चंसोरिया जी

मध्य प्रदेश के रहने वाले है विजय कुमार चंसोरिया जी

बता दे कि विजय कुमार चंसोरिया जी मध्य प्रदेश के पन्ना क रहने वाले है। और इनका जन्म एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ है। और उन्होंने बहुत से परेशानियों का सामना किया था। इसी वजह से वो आंकलन भी करने में सक्षम है। और वे ये भी समझते है , कि गरीबी में शिक्षा ग्रहण करना कितना ज्यादा कठिन होता है। और उनहोने रिटायर होने पर 40 लाख रुपए गरीब बच्चो के लिए दान कर दिए जो गर्व की बात है।

 विजय कुमार जी ने स्वयं रिक्शा चलाकर ली शिक्षा
विजय कुमार जी ने स्वयं रिक्शा चलाकर ली शिक्षा

रिक्शा चलाकर ली शिक्षा

बता दे कि, विजय कुमार जी ने स्वयं भी शिक्षा पाने के लिए काफी संघर्ष किया है ,. और यहाँ तक की उन्होंने शिक्षा प्राप्त करने के लिए अपने बचपन के दिनों में खुद रिक्शा चालकर अपना खर्चा निकालकर गुज़ारा किया था। और उन्हे पढ़ने का बहुत शोक था। वो ये जानते थे कि, पढ़ाई करके हर कामयाबी को हासिल किया जा सकता है। और मज़िल पायी जा सकती है। कई बार तो गरीबी के चलते उनकी पढ़ाई छूट जाती थी। जिसकी वजह से उन्हें दूध बेचने का काम भी करना पड़ गया था।

विजय कुमार जी 1983 में बन गए शिक्षक
विजय कुमार जी 1983 में बन गए शिक्षक

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1983 में बन गए शिक्षक

विजय कुमार जी के ख्वाब बहुत बड़े थे । और वे जीवन में कुछ हासिल करना चाहते थे। और बल्कि इसके लिए उन्होंने निरंतर प्रयास के साथ अपनी पढ़ाई पूरी की। मेहनत करके साल 1983 में शिक्षक बन गए है।

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