जब हौंसले बड़े हो तो, फिर मुश्किलों को क्या आंकना ? और ऐसी ही कुछ गुणों वाली है, एक मज़दूर की बेटी सोनाली साहू, जिन्होंने अपनी संघर्ष और मेहनत से वो मुकाम हासिल किया। जिसको लेकर कई बच्चे सपने देखते है। और उन्हें पुरा करने के लिए पुरज़ोर कोशिश करते है। बाहर जाने के सपने देखते है, लेकिन मज़बूरी के चलते अपने सपनो को त्यागना पड़ता है। लेकिन कुछ बच्चे सोनाली जैसे भी होते है, जो कि इन मुश्किलों से हसकर लड़ते है। और ज़िंदगी में सफलता का मुकाम हासिल करते है। उन्होंने अपनी मेहनत से अपने स्कूल के समय पर ही स्कॉलरशिप की तैयारी करते हुए अपनी सफलता सुनिश्चित की।
लखनऊ की है सोनाली साहू
बता दे कि सोनाली साहू लखनऊ के एक छोटे से गांव माढरमऊ की रहने वाली है ,और उनके पिता पेशे से एक मज़दूर है। और किसी तरह से मज़दूरी करके अपना खर्चा चलाते है। लेकिन सोनाली के सपने कुछ बड़ा मुकाम हासिल करने के थे ,इसलिए उन्होंने अपना संघर्ष जारी रखा। और सोनाली बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार थी। जिसके कारण उनकी सब तारीफ करते थे। और क्योकि सोनाली साहू पढ़ने के साथ-साथ और भी क्रियाओ में बहुत अच्छी थी और एक आल राउंडर थी, इसलिए उनकी प्रिंसिपल डॉ अंजलि सिंह भी सोनाली को बहुत अच्छा मानती थी।
प्रिंसिपल ने करवाया आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला
बता दे कि सोनाली साहू की प्रिंसिपल डॉ अंजलि ने ही आगे की पढ़ाई के लिए खुद से फीस देकर सोनाली का दाखिला लखनऊ के दूसरे स्कूल में करवाया था। और सोनाली ने भी उनकी बात का मान रखते हुए पुरे मन से पढ़ाई की और पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन किया। नया स्कूल17 किलोमीटर की दुरी पर था। जिसके लिए रोज किराया लगता था। लेकिन इसके लिए सोनाली ने साइकिल चलाना सीखा ,और 17 किलोमीटर साइकिल चलाकर स्कूल जाती थी।
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सोनाली का हुआ स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए चयन
बता दे कि कुछ समय के बाद साल 2020 में सोनाली का चयन सबसे होनहार छात्रों के साथ स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए हुआ, जिसमे सोनाली को इटली में पढ़ने के लिए जाना था और वहां पर 6 महीने तक रहना था। और इस बार उन्होंने अपने पिता के साथ जाकर अपना पासपोर्ट और वीसा बनवाया और इटली पढ़ने के लिए चली गयी। ये उपलब्धि सिर्फ सोनाली के लिए ही बड़ी नहीं थी, बल्कि उसके पुरे परिवार के लिए भी बड़ी थी। अब सोनाली खूब अच्छे से पढ़ाई करके प्रशासनिक सेवा में जाना चाहती है।
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