हमारे माता पिता हमारे लिए कितना संघर्ष करते है न, हमारे लिए हर मेहनत और म मशकत करते है। और सच्चे दिल से सिर्फ वही हमारे लिए कामना करते है। कि, हमें सफलता मिले। वर इस मतलब भरी दुनिया में कोई आजकल किसी को नहीं पूछता है। और हर इंसान को सिर्फ पैसो की पड़ी रहती है। वैसे आज की कहानी सिर्फ एक बेटी की सफलता की ही नहीं है, बल्कि उस बेटी की सफलता के पीछे एक माँ के संघर्ष की भी है। और क्योकि हमे हमेशा ही अपने माता पिता की कदर करनी चाहिए। और उन्हें समझना चाहिए। आज की कहानी है हीना बानो की। जिनकी माता जी ने उन्हें मोमो बेचकर पढ़ाया था। और हीना ने भी उनकी मेहनत की कदर की है। जिस वजह से उन्होंने आज सफलता का उच्च शिखर हासिल किया है। हीना बानो ने आयरलैंड में होने वाली यूनीफर अंडर-23 नेशनल हॉकी टूर्नामेंट में जूनियर इंडियन महिला टीम ने जबरदस्त खेल दिखाते हुए उपविजेता का खिताब हासिल किया है। और देश का नाम रोशन किया है।
हीना बानो 19 जून को लिया था हॉकी टूर्नामेंट में हिस्सा
बता दे कि, हीना बानो ने इस बार के आयरलैंड में आयोजित 19 जून को हॉकी के टूर्नामेंट में भारत की तरफ से हिस्सा लिया था। और उन्होंने विदेश में देश का झंडा लहराकर देश का नाम ऊँचा किया है। और ये समय पुरे भारत के लिए गर्व की बात है। क्योकि ये भारत के लिए गर्व का क्षण होता है, जब किसी भारतीय द्वारा किसी ओर देश में देश का तिरंगा लहराया जाता है।
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माँ ने मोमो बेचकर चलाया गुज़ारा
हीना बानो के जीवन का सबसे दुखद सत्य ये है कि, उनके पिता जी का निधन बहुत पहले ही हो गया था। और उस वक़्त हीना बहुत छोटी थी। और इतनी कम उम्र में पिता के सांया सर से उठ जाना ही बहुत तकलीफ भरा होता है। क्योकि उसके बाद पत्नी और बच्चो का जीवन बहुत मुश्किल हो जाता है। और हुआ भी कुछ ऐसा ही हीना की माता जी ने भी घर के गुज़ारे के लिए मोमो बेचे थे। और बेटी को पाला था। और आज हीना hockeyने भी आज देश का भी मान बढ़ाया है। और अपनी माँ की मेहनत को भी सफल किया है ।
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