किस्मत का भी कोई भरोसा नहीं होता न, कब किसकी बदल जाय कुछ कहा नहीं जा सकता है। इसलिए हमे हमेशा अपने मेहनत पर भी रखना चाहिये।मुझे यहाँ पर अब्दुल कलाम जी की वो बात याद आ रही है कि, हम अपनी किस्मत तो नहीं बदल सकते है, लेकिन अपनी आदते ज़रुर बदल सकते है। और हमारी आदते हमारी किस्मत बदल देगी। और जीवन के इन्ही आदर्शो पर हमे हमेशा चलते रहना चाइये। चाहे फिर कुछ भी हो जाए, हमे कभी हार नहीं माननी चाहिये। और निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। चाहे हालात कैसे भी हो, हमेशा मेहनत के साथ निरंतर प्रयास करते रहने से सफलता ज़रूर मिलती है। और चाहे आप कैसी भी मुश्किल में हो, आप हर सफलता को हासिल कर सकते हो। आज की हमारी कहानी समर्पित है राजस्थान के आसुराम गढ़वीर के लिए। जिन्होंने रोज़ाना करीब सिर्फ़ रुपेय की ध्याड़ी पैर काम भी किया। साथ ही अपनी पढ़ाई भी की। और आज वे अस्सिस्टेंट प्रोफेसर बन गए है।
20 रुपेय ध्याडी पर करते थे काम
बता दे कि, सबसे खास और जानने वाली बात तो ये है कि, आसुराम गढ़वीर नाम के ये व्यक्ति ने न सिर्फ पढ़ाई हेतु शारीरिक मेहनत की है, बल्कि रोज के खर्च के लिए मात्र 20 रुपए में पूरे दिन मेहनत करके पसीना भी बहाया है। और उनहोने सिर्फ 20 रुपेय की मज़दूरी करके रोज़ का खर्च भी चलाया है। और वे रोज़ाना मेहनत करके मज़दूरों भी करते थे। और रात को पढ़ाई भी करते है। जिसका परिणाम उन्हें आखिर मिल ही गया है।
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आसुराम गढ़वीर हासिल किया पहला स्थान
आसुराम गढ़वीर ने रात दिन एक करके मेहनत की। और रातो को कई देर-देर तक जागकर पढ़ाई की है। और इसका परिणाम आपके सामने है। उन्होंने न सिर्फ ये शिक्षक भर्ती परीक्षा पास की है। बल्कि उसमे sc वर्ग से पुरे देश में पहला स्थान भी हासिल किया है। और देश भर में अपने परिवार के साथ साथ अपने क्षेत्र का नाम भी रोशन किया है। और उन पर हम सभी को गर्व है। क्योकि उन्होंने सबसे ज़रुरी सीख दी है ,जो कि इंसान को कभी भी वक़्त के आगे हार नही माननी चाहिए।
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