10 वीं में फैल हो गए ,तो डर के मारे घर से ही भाग गए, और भागकर पहुंचे रोहतक और शुरू की अनोखी यात्रा

माँ बाप के डर से घर से भाग गए। वजह थी 10 वी में फैल होना। उन्नाव में जन्मे राज सिंह पटेल 10 में फेल होने के बाद अपने घर उन्नाव से भागकर हरियाणा के रोहतक में आ गए। और वही रहकर नौकरी करने लगे। बहुत से दिक्क़ते देखी। और संघर्ष किया। और आपको शायद यकीन नहीं होगा कि घर से भागा हुआ, ये लड़का इतना मेहनत और लगन से काम करेगा कि उसका व्यापार सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी फैलेगा। और वो करोड़ो का मालिक बन जायेगा।

जब राज सिंह घर से भागकर रोहतक में आये थे।
जब राज सिंह घर से भागकर रोहतक में आये थे।

उत्तर प्रदेश के है राज सिंह

बता दे कि राज सिंह up के उन्नाव के रहने वाले है। और जब वो उन्नाव से भागकर रोहतक हरियाणा में आए थे ,तो उन्होंने खुद भी नहीं सोचा होगा कि वो इतने अमीर हो जायेंगे। और वो खुद का बिज़नेस शुरू करेंगे। लेकिन उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें सफलता तक पंहुचा ही दिया। और उन्होंने अपना काम भारत तक ही नहीं बल्कि भारतीय सम्याओं से बाहर भी फैलाना शुरू किया। और आज वो करोड़ो का व्यापार कर रहे है।

नट बोल्ड की एक कम्पनी में किया था काम

जब राज सिंह घर से भागकर रोहतक में आये थे। तो उनके पास शुरू में कोई काम नहीं था। और फिर कुछ समय के बाद उन्हें नट बोल्ड बनाने वाली एक कम्पनी में काम मिल गया। पर वो नट बोल्ड की कम्पनी में खराद का काम करने लगे। और सारा मशीनी ज्ञान भी मिला।

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राज सिंह ने नट बोल्ड की एक कम्पनी में किया था काम
राज सिंह ने नट बोल्ड की एक कम्पनी में किया था काम

राज सिंह क़र्ज़ से खरीदी खुद की मशीने

राज सिंह ने कुछ समय के बाद क़र्ज़ उठाकर करीब 75 हज़ार रुपए की नट बोल्ड की मशीन खरीदी। और खुद का काम शुरू किया। और फिर उन्होंने खुद का काम भी शुरू किया। और अपने जुटाए ज्ञान और अनुभव के आधार पर अपना व्यापार शुरू किया। और मुनाफा कमाने लगे। और अपने काम को उन्होंने केवल भारत ही नहीं बल्कि भारत से बाहर भी विस्तारित किया। और आज उनका काम 3 ओर देशो में चल रहा है।

राज सिंह ने कुछ समय के बाद क़र्ज़ उठाकर करीब 75 हज़ार रुपए की नट बोल्ड की मशीन खरीदी।
राज सिंह ने कुछ समय के बाद क़र्ज़ उठाकर करीब 75 हज़ार रुपए की नट बोल्ड की मशीन खरीदी।

राज सिंह कई बार सोये भूखे और..

राज सिंह बताते है कि अपने संघर्ष के दो सालो में उन्होंने बहुत संघर्ष किया। और काफी मश्किल दिन भी देखे। वो बताते है कि उन्होंने कई रातें बिना खाना खाय गुज़ारी। उन्हें कई बार भूखा सोना पड़ता था। और फेक्ट्री में घंटों काम किया। उन्होंने सुबह के 6 बजे से लेकर रात के 11 बजे तक भी काम किया। और 7 साल के बाद अपना काम करने के बारे में सोचा। और मशीने बहार से सस्ती मंगवाकर खुद का काम शुरू किया। और इसी दौरान उनकी शादी हो गयी। और उनकी पत्नी ने भी उनकी काफी सहायता की।

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