भारत में एक समय ऐसा भी था, जब भारतीयों ने कई तरह की यातनाये झेली। और उनका सामना भी किया। और एक समय तो ऐसा था, कि जब अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ाई लड़ते-लड़ते बहुत से सेनानी शहीद हो गए। ओर तो ओर उन्हें जेल तक जाना पड़ा था। (उषा मेहता) क्योकि उस समय अंग्रेज़ो का राज़ था। और वो मासूम सेनानियों को सिर्फ इसलिए जेल में डाल रहे थे। क्योकि वो अपने हक़ की मांग कर रहे थे। और उसकी सजा भुगत रहे थे। लेकिन सेनानी इतने मजबूत हो गए थे कि उन्होंने हार नहीं मानी। और कठोरता के साथ खुद को भी कठोर बना लिया। और उस समय अंग्रेज़ो ने हर माध्यम बंद कर दिया था। ताकि आम जान तक देश की भावना न पहुंचे इसके लिए उन्होंने सारे सोशल माध्यमों को बंद कर दिया था। और यहाँ तक की हर रेडियो स्टेशन तक बंद करवा दिया था। लेकिन ऐसे में सुनाई पड़ी एक बेटी की आवाज़ जिनका नाम था उषा मेहता।
1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान चलाया रेडियो प्रसारण
1942 में आज़ादी के करीब 5 साल पहले की गाथा है। जब भारत छोड़ो आंदोलन चल रहा था। उस वक़्त हर हिंदुस्तानी महात्मा गांधीजी जी द्वारा चलाये गए इस क्रिया में उनके साथ था। क्योकि उस वक़्त हिंदुस्तान का हर व्यक्ति आज़ादी के सपने देख रहा था। और अंग्रेज़ो से आज़ाद होना चाहता था। लेकिन अंग्रेज़ो ने हर संभव प्रयास किया कि, देश में देश प्रेम और एकता की भावना न पनपे। और इसके लिए उन्होंने सारे माध्यमों जैसे रेडियो प्रसारण तक रोक दिए थे। लेकिन नरीमन प्रिंटर और नानक मोटवानी की मदद से गुप्त रेडियो प्रसारण किया गया। और उस वक़्त की इस गुप्त रेडियो प्रसारण की आवाज़ बानी भारत की बेटी उषा मेहता।
सूरत में जन्मी थी उषा मेहता
25 मार्च 1920 को गुजरात के सूरत इलाके में जन्मी उषा जी गाँधी जी विचारो से काफी प्रभावित थी। गाँधी जी उस वक़्त कई जगह जन सभाये करने जाया करते थे। और उसी में से एक थी, सूरत की जनसभा जिसमें उन्होंने देश के प्रति अपने विचार रखे। और उन्ही के विचारो से बहुत प्रभावित हुई (उषा मेहता)। उनके मन में भी क्रांति की भावना पैदा हो गयी। और उषा ने अपने पिता जी से कहा, कि अब वो आगे पढ़ाई नहीं करना चाहती और देश को आज़ाद कराने के लिए लड़ना चाहती है।
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गाँधी जी के जेल जाने पर उषा मेहता चलाया गुप्त रेडियो प्रसारण
जब भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कांग्रेस नेताओ समेत गांधीजी जी को भी गिरफतार किया गया था। तो उस वक़्त सभी रेडियो प्रोग्राम बंद करा दिए थे।लेकिन नरीमन प्रिंटर और नानक मोटवानी की मदद से एक गुप्त रेडियो प्रसारण किया गया। जिसकी आवाज़ बनी उषा मेहता।
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