अंग्रेज़ो के दांत खट्टे कर दिए थे, इस 73 साल की वीरांगना मातंगिनी हाज़रा ने, आज़ादी के लिए जेल में भी रही

आज जो आज़ादी की साँसे हम ले रहे है ,वो वाकई में हमने बहुत मुश्किलों से पायी है। क्योकि इस आज़ादी के पीछे की कहानी संघर्ष पूर्ण है। क्योकि कई वीर योद्धाओं ने अपनी जान गंवाकर हमे ये आज़ादी दिलाई है। और हम उनके इस अमूल्य योगदान को कभी नहीं भूल सकते है। क्योकि उनकी मेहनत और खून पसीने बहाने की वजह से ही हम सबने ये आज़ादी पायी है। और न जाने कितने ऐसे वीर सिपाही है, जिनके संघर्ष की दास्ताँ हमे नहीं पता है, लेकिन उनका नाम भी कही दर्ज़ नहीं है ,और भारत में ऐसे कई वीरांगनाय भी जन्मी है, जिन्होंने एक महिला होते हुए भी अंग्रेज़ो को दांतो तले लोहे के चने चबवा दिए है। ऐसी ही एक वीर महिला है मातंगिनी हाज़रा, जिनकी गाथा जितनी जाए, वो कम ही है।

पश्चिम बंगाल में जन्मी थी मातंगिनी हाज़रा
पश्चिम बंगाल में जन्मी थी मातंगिनी हाज़रा

पश्चिम बंगाल में जन्मी थी मातंगिनी हाज़रा

भारत के पश्चिम बंगाल में जन्मी मातंगिनी हाज़रा एक समाज सेवी के रूप मे उभरी थी। इनका जन्म पश्चिम बंगाल के एक गाँव होगला में साल 1870 में हुआ था। और ये बेहद ही गरीब परिवार में जन्मी थी। और इसी कारण से वो पढ़ नहीं पायी थी। और उनकी छोटी सी उम्र में ही शादी करा दी गयी। और उस समय बाल विवाह जैसी कुरीतियां काफी प्रचलित भी थी।

18 साल की उम्र के बाद ही मातंगिनी हाज़रा विधवा हो गयी। और उसके बाद उन्होंने अपना सारा जीवन सामज सेवा में समर्पित कर दिया।
18 साल की उम्र के बाद ही मातंगिनी हाज़रा विधवा हो गयी। और उसके बाद उन्होंने अपना सारा जीवन सामज सेवा में समर्पित कर दिया।

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करने लगी समाज सेवा और बन गयी भारत की स्वतंत्रता सेनानी

18 साल की उम्र के बाद ही मातंगिनी हाज़रा विधवा हो गयी। और उसके बाद उन्होंने अपना सारा जीवन सामज सेवा में समर्पित कर दिया। और 35 साल की उम्र में उन्होंने देश में फैल रहे अंग्रेज़ो के राज़ को खत्म करने की ठानी। और वो महात्मा गांधी जी से भी मिली। और उनके विचारो को भी अपनाया।

 मातंगिनी हाज़रा ने इस उमड़े हुए सैलाब को देखा, तो वो भी इसमें कूद पड़ी।
मातंगिनी हाज़रा ने इस उमड़े हुए सैलाब को देखा, तो वो भी इसमें कूद पड़ी।

अंग्रेज़ो के खिलाफ निकाला मोर्चा

26 जनवरी, 1932 को सैंकड़ों पुरुष अंग्रेज़ सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा निकाल रहे थे। जैसे ही मातंगिनी हाज़रा ने इस उमड़े हुए सैलाब को देखा, तो वो भी इसमें कूद पड़ी। और उन्होंने भी जमकर इसके खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने कुछ समय के बाद नमक आंदोलन में हिस्सा लिया। और अलीनन नमक सेंटर में नमक बनाया। इसके लिए अंग्रेज़ो ने उन्हें गिरफतार कर लिया। और कई मिलो दूर पैदल चलवाया। और फिर जेल में डाल दिया। ऐसी थी मातंगिनी हाज़रा, जिन्होंने देश के लिए इतना संघर्ष किया। और जेल तक चली गयी।

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