जिस कम्पनी में कभी 12 घंटे करते थे गार्ड की नौकरी, आज उसी कम्पनी के बन गए है सॉफ्टवेयर इंजीनियर, आसान नहीं था अब्दुल का ये सफर

किस्मत भी कैसे कैसे खेल खेलती है न, जो राजा को रंक बना देती है। और रंक को राजा भी बना देती है ऐसी ही किसमत रही अब्दुल अलीम की भी ,जो सिर्फ 10 वी पास ही है, लेकिन उन्होंने अपने मुश्किल भरे दिनों में सिर्फ एक मामूली सी गॉर्ड की नौकरी की है। और अपनी अपनी मेहनत और हुनर के दम पर खुद की भी पहचान बनायीं। और ZOHO नाम की एक बड़ी कम्पनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर कार्यरत है। ये वाकई ही जानना दिलस्चस्प होगा कि, उन्होंने गॉर्ड से लेकर एक इंजीनियर तक का सफर तय कर चुके है।अब्दुल अलीम आज उन सभी युवाओ के लिए एक प्रेरणा है, जिन्हे ये लगता है कि मुश्किलों से जीतना मुश्किल है। और उन युवाओ के लिए एक उदाहरण है ,जिन्हे ये लगता है कि वो कुछ नहीं सकते है। और हालातो के आगे भी हार मानकर बैठ जाते है।

 2013 में अब्दुल अलीम ने अपना घर छोड़ने का कठोर फैसला लिया था
2013 में अब्दुल अलीम ने अपना घर छोड़ने का कठोर फैसला लिया था

2013 मे छोड़ दिया था घर

साल 2013 में अब्दुल अलीम ने अपना घर छोड़ने का कठोर फैसला लिया था। और उस वक़्त उनके पास जेब में सिर्फ 1000 रुपए ही थे। और उसमे से भी उनके 800 रुपए चेन्नई जाने के लिए एक टिकट के खर्चे में ही लग गए थे। और बाकी 200 रुपए उन्होंने खाने के लिए खर्च किये थे। जिससे उनका दो तीन दिन का काम चल गया था। उसके बाद उन्हें काफी दिनों तक भटकना पड़ा था। काम की तलाश में उन्होंने चेन्नई में बहुत जगह काम तलाशा। लेकिन वो 10 वी तक ही पढ़े थे,जिसके वजह से उन्हें काम नहीं मिल रहा रहा था।

अब्दुल अलीम को आख़िरकार ZOHO नामक कम्पनी में एक गॉर्ड की नौकरी मिल ही गयी।
अब्दुल अलीम को आख़िरकार ZOHO नामक कम्पनी में एक गॉर्ड की नौकरी मिल ही गयी।

ZOHO कम्पनी में करने लगे बतौर गार्ड की नौकरी

लगभग 2 महीनो तक चेन्नई की सड़को पर काम की तलाश में भटकते भटकते अब्दुल अलीम को आख़िरकार ZOHO नामक कम्पनी में एक गॉर्ड की नौकरी मिल ही गयी। और उन्होंने वहां के माहौल को समझा। और ये जाना कि, यहाँ पर टेक्निकल काम किया जाता है। उनकी दिलचस्पी भी धीरे धीरे काम में बढ़ने लगी। वो चुपके चुपके से उन्हें काम करते हुए देखा करते थे। और उनकी दिलचस्पी भी इसमें बढ़ने लगी।

अब्दुल उसी ZOHO कम्पनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जॉब कर रहे है।
अब्दुल उसी ZOHO कम्पनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जॉब कर रहे है।

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अब्दुल अलीम सीखने लगे कंप्यूटर डिकोडिंग

एक दिन उस कम्पनी के सीनियर कर्मचारी ने अब्दुल अलीम को पास बुलाया। और उसे कंप्यूटर के बारे में कुछ सवाल किये। और उसकी कंप्यूटर की चाह को देखकर उसे कोडिंग सीखा दी। जिसके बाद उन्हें कंप्यूटर का ज्ञान हो गया। और उन्हें उस कर्मचारी ने उसी कम्पनी मे सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद के लिए इंटरव्यू दिया। और उनका सिलेक्शन भी हो गया था। और वो उसी ZOHO कम्पनी में जॉब कर रहे है।

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