मज़बूरी इतनी थी, कि कभी धर्मशाला में गुज़रा करते थे दिन, खर्चे के लिए बाल्टी में भरकर बेचे रसगुल्ले, और आज बन गया बीकानेर वाला ब्रांड

हमने आज तक कई ब्रांड्स के बारे में सुना है और कई फेमस ब्रांड के ऐड भी देखे होंगे। कोई भी स्टार्ट अप कम्पनी को ब्रांड बनने से पहले कई पडावो से गुज़रना पड़ता है। तभी ब्रांड कहलाता है। आज हम आपको एक ऐसे ही स्टार्ट अप की ब्रांड बनने तक की कहानी बताने आये है। जिसका नाम है बीकानेरवाला। एक कहानी जो शुरू तो हुई दिल्ली से, लेकिन आज हर भारतीय की जुबान पर है। एक ऐसी अनोखी कहानी जिसमें केदारनाथ नाम के एक शख्स ने रसगुल्ले एक बाल्टी में भरकर बेचना शुरू किया। और आज केदारनाथ अग्रवाल के द्वारा बनाये गए वो रसगुल्ले हिंदुस्तान के हर घर की पसंद बन चुके है।

1955 में शुरू हुआ था बीकानेरवाला का सफर
1955 में शुरू हुआ था बीकानेरवाला का सफर

1955 में शुरू हुआ था बीकानेरवाला का सफर

हिंदुस्तान का नंबर वन ब्रांड बन चुकी बीकानेरवाला आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है। इसकी शुरुआत 1955 में दिल्ली में 83 साल के हो चुके केदारनाथ अग्रवाल जी ने की थी। शुरुआत में जब केदरनाथ जी बीकानेर से दिल्ली आये थे। तो उनके पास रहने को जगह नहीं थी। और ऐसे में उन्हें कई राते धर्मशाला में गुज़ारनी पड़ती थी। और वो और उनका भाई की दिनों तक धर्मशाला में ही रहे। और तो और खर्चा चलने के लिए उन्होंने बाल्टी में रसगुल्ले भरकर बेचे।

 बीकानेरवाला कम्पनी एक ब्रांड में बदल चुकी है। और करीब 1000 करोड़ रुपए का सफर तय कर चुकी है।
बीकानेरवाला कम्पनी एक ब्रांड में बदल चुकी है। और करीब 1000 करोड़ रुपए का सफर तय कर चुकी है।

केदारनाथ अग्रवाल का धीरे धीरे बढ़ने लगा काम

केदारनाथ अग्रवाल जी का काम धीरे धीरे बढ़ने लगा। और उनके बनाये हुए रसगुल्ले की मांग काफी बढ़ने लगी। और मांग इतनी बढ़ गयी,कि उन्होंने एक दुकान दिल्ली में ही किराए पर लेली। और दुकान पर काम करने के लिए उन्होंने बीकानेर से कुछ लोगो को बुलवा लिया। और उस समय केदरनाथ जी को काका बोला जाता था ,जो उनकी खास पहचान भी बन गया था। धीरे-धीरे उन्होंने खास त्योहारों पर रसगुल्ले के साथ साथ नमकीन और मूंग दाल का हलवा भी बनाना भी शुरू किया । और उनका काम अच्छा चलने लगा।

बीकानेरवाला शुरुआत 1955 में दिल्ली में 83 साल के हो चुके केदारनाथ जी ने की थी
बीकानेरवाला शुरुआत 1955 में दिल्ली में 83 साल के हो चुके केदारनाथ जी ने की थी

इसे भी अवश्य पढ़े:- अंग्रेज़ो के दांत खट्टे कर दिए थे, इस 73 साल की वीरांगना मातंगिनी हाज़रा ने, आज़ादी के लिए

बन गया ब्रांड और बन गयी 1000 करोड़ की कम्पनी

धीरे धीरे केदारनाथ अग्रवाल जी को इतना फायदा होने लगा कि उन्होंने देखते ही देखते करोलबाग़ में दुकान खरीद ली। और इसके बाद तो जैसे उनकी किस्मत पलट गयी। और कभी बाल्टी में रसगुल्ले भरकर बेचने वाला ये शख्स आज करोड़ो का बिज़नेस बैठे बैठे चला रहा है। और बाजार की बढ़ती मांग के साथ साथ बीकानेरवाला ने भी अपनी स्पेशल भुजिया और मिठाईयो में ओर वैरायटी लेकर आये है। और तो और उन्होंने अपने और भी आउटलेट्स पर ध्यान दिया है और उनकी ये कम्पनी एक ब्रांड में बदल चुकी है। और करीब 1000 करोड़ रुपए का सफर तय कर चुकी है।

कभी बाल्टी में केदारनाथ अग्रवाल रसगुल्ले भरकर बेचने वाला आज करोड़ो का बिज़नेस बैठे बैठे चला रहा है
कभी बाल्टी में केदारनाथ अग्रवाल रसगुल्ले भरकर बेचने वाला आज करोड़ो का बिज़नेस बैठे बैठे चला रहा है

इसे भी अवश्य पढ़े:- अंग्रेज़ो ने बंद करा दिए थे सारे रेडियो स्टेशन, लेकिन देश की इस बेटी ने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान भी

इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद , ऐसे ही दिलचस्प किस्से जानने के लिए जुड़े रहिये समाचार बड्डी के साथ, और हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करना न भूले!

Join WhatsApp Channel
Join WhatsApp Join Telegram