अगर संघर्ष करना जीवन का नियम है, तो सफलता मिलना भी उसका परिणाम साबित हो सकता है। जीवन में कई तरह से सफलता के लिए लड़ना पड़ता है। और संन्घर्ष कितना समय तक रहता है, ये बात देखने वाली होती है। और सपने तो हम सभी देखते है, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए किये गए जतन कितने सही मन से किये गए होते है, ये मायने रखता है। और अक्सर ऐसा देखा गया है कि, आप जितना ज्यादा संघर्ष करते हो, सफलता भी उतनी ही शानदार पाते हो। और हमारे ही आसपास हमे कई ऐसे उदाहरण देखने को मिलते है ,जिनसे हम प्रेरणा ले सकते है। और जीवन जीना सीख सकते है। ऐसा ही एक उदाहरण है अज़हरुद्दीन क़ाज़ी का, जिनके पिता ने उन्हें टैक्सी चलाकर पढ़ाया। और उन्हें इस काबिल बना दिया कि वो जीवन में एक मुकाम तक पहुंच सके। आज अज़हरुद्दीन क़ाज़ी एक आईएएस अफसर बन चुके है।
महाराष्ट्र के यवतमाल से है अज़हरुद्दीन क़ाज़ी
बता दे कि, अज़हरुद्दीन क़ाज़ी का जन्म महाराष्ट्र के एक छोटे से गाँव यवतमाल में हुआ है। और इनका जन्म एक बेहद ही गरीब परिवार में हुआ है। अज़हरुद्दीन क़ाज़ी तीन भाई है। और वे सबसे बड़े है। और बचपन से पिता के संघर्षो को देखकर बड़े हुए है। ऐसे में अज़हरुद्दीन क़ाज़ी ने अपने पिता का हाथ बंटाने के लिए खुद भी जॉब की और घर संभाला। वो पढ़ने में अच्छे थे, इसलिए उनके माता पिता ने उन्हें पढ़ाने में कोई कमी नहीं रखी। और उन्हें पढ़ाया।
अज़हरुद्दीन क़ाज़ी नौकरी करके पढ़ाया भाईयो को
अज़हरुद्दीन के घर की हालत इतनी भी अच्छी नहीं थी, कि उन्हें पढ़ाई पूरी करवाई जा सके। और उनके माता पिता उन्हें केवल10 वी तक की पढ़ाई करवायी थी। जिसके बाद उन्होंने जॉब करने के बारे में सोचा। और किस्मत से उनकी नौकरी एक सरकारी बैंक में लग गयी थी ,जिसके बाद उन्होंने अपने भाईयो की पढ़ाई करवाई। और खुद भी साल 2010 में सिविल सर्विसेज की तैयारी के बारे में सोचा।
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पहले दो बार रहे असफल, और फिर सफल बने
साल 2010 में अज़हरुद्दीन ने जब एग्जाम दिया, तो वे असफल रहे। लेकिन जब उन्होंने साल 2019 में घर की सिथति नौकरी से ठीक करने के बाद दोबारा एग्जाम दिया तो इस बार उन्हें सफलता मिल ही गयी। और वे एक आईएएस अफसर बन ही गए।
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