सपना था अफसर बनकर देश सेवा करने का, जूनून ऐसा था कि सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी तक की, और मेहनत करके बन गए सेना में लेफ्टिनेंट

ज़िंदगी भी कैसी कैसी करवटे ले लेती है न, अगर सही पलट जाय, तो किस्मत ही बना देती है। और अगर न बन पाय तो संघर्षो की गणन भी बढ़ जाती है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते है, जो इन संघर्ष से हार नहीं मानते है। और ज़िंदगी का मुकाम हासिल कर लेते है। और फिर मुश्किलें चाहे कितनी भी क्यों न आ जाय वो हज़ार नहीं मानते है। और सफलता को हासिल कर ही लेते है। ऐसे ही एक शख्स है राजस्थान के रहने वाले नरेंद्र जी। जिन्होंने ये साबित कर दिया कि, मुश्किलों के बाद ही सफलता का सफर शुरू होता है, जो की बहुत सुंदर होता है। उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों में सिक्योरिटी गॉर्ड तक की नौकरी की। और NDA का एग्जाम निकालकर लेफ्टिनेंट बन गए है।

 नरेंद्र राजस्थान के अलवर जिले के रहने वाले है
नरेंद्र राजस्थान के अलवर जिले के रहने वाले है

राजस्थान से है नरेंद्र

बता दे कि, नरेंद्र राजस्थान के अलवर जिले के रहने वाले है। उनका जन्म एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था। और उन्होंने बहुत ही मज़बूरी भरे दिन देखे है। जिसके कारण उन्हें बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ गया था। उन्होंने अपना खर्च चलाने के लिए सिक्योरिटी गॉर्ड तक की नौकरी की। और उसी से वो अपने पढ़ाई का खर्च निकालते थे। और इसी तरह से उन्होंने अपनी NDA की तैयारी भी की थी। और पूरी मेहनत से परीक्षा की न सिर्फ तैयारी की, बल्कि उसमे सफलता प्राप्त करके 267 वी रैंक भी हासिल की थी।\

नरेंद्र के पिता एक किसान थे
नरेंद्र के पिता एक किसान थे

पिता थे एक किसान

बता दे कि, नरेंद्र के पिता एक किसान थे। और उनके घर पर काफी परेशानी थी। और उन्हे पढ़ाई के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा था। और उन्होंने अपने टीचर की मदद से अपनी 10 वी की पढ़ाई खत्म की थी। क्योकि उनके टीचर ने उनकी हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया था। जिसके कारण वो आगे बढ़ पाए थे। उन्होंने हर परिस्थति में पढ़ाई का साथ नहीं छोड़ा।

 नरेंद्र ने NDA में 267 वी रैंक भी हासिल करके इतिहास ही रच दिया था।
नरेंद्र ने NDA में 267 वी रैंक भी हासिल करके इतिहास ही रच दिया था।

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नरेंद्र NDA  में पायी 267 वी रैंक

बता दे कि, नरेंद्र ने NDA की पास करके इतिहास ही रच दिया था। उस परीक्षा में न सिर्फ सफलता प्राप्त की, बल्कि उसमे 267 वी रैंक भी हासिल करके इतिहास ही रच दिया था।

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