गरीबी की मार कुछ ऐसी थी कि घर घर जाकर मांगते थे भीख, पिता के निधन के बाद छोड़ दी पढ़ाई, हिम्मत करी, और बन गए 40 करोड़ के मालिक

जब किस्मत बदलती है तो इंसान को फर्श से अर्श और अर्श से फर्श तक जाने में समय नहीं लगता है। और कई लोग दुनिया में ऐसे होते है, जिनकी किस्मत वाकई में बहुत अच्छी होती है। और उन्हें हर वो चीज़ मिलती है। जिसके लिए वो कभी तरसा करते थे। और अपनी मेहनत और लगन को उन्होंने बहुत गहराई से समझा है ,ऐसे ही एक शख्स है रेणुका आराध्या। जिन्होंने बहुत बुरे दिन देखे। और इतनी मजबूरियां देखी, कि रेणुका आराध्या ने भीख तक माँग मांग कर आपने खर्चा चलाया और गुज़ारा किया। उन्होंने घर घर गलियों में भटककर काम भी किया भीख भी मांगी। लेकिन उन्होंने इतनी ज़िल्ल्त सहने के बाद भी हार नहीं मानी। और ज़िंदगी की इस रेस में जीत गए।

 रेणुका ने अपनी स्कूली शिक्षा तक के लिए बहुत संघर्ष किया था।
रेणुका ने अपनी स्कूली शिक्षा तक के लिए बहुत संघर्ष किया था।

रेणुका आराध्या पिता का हो गया अचानक निधन

रेणुका आरध्या का जन्म एक पुजारी परिवार में हुआ था। और रेणुका बहुत ही छोटी उम्र में परिवार की मजबुरी के चलते खुद भी पिता के साथ जाकर गली गली भीख माँगा करते थे। और इसी से उनका गुज़ारा चलता था। रेणुका का सारा बचपन इसी तरह मज़बूरी भरे दिनों में गुज़रा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। और मेहनत और लगन के बल पर आज रेणुका आराध्या 40 करोड़ के मालिक बन गए है। और कभी अपनी जैसे मज़बूरी वाले लोगों को रोज़गार भी दे रहे है।

 चलता था। रेणुका का सारा बचपन इसी तरह मज़बूरी भरे दिनों में गुज़रा,
चलता था। रेणुका का सारा बचपन इसी तरह मज़बूरी भरे दिनों में गुज़रा,

मज़बूरी के चलते रेणुका आराध्या हो गए 10 में फैल

बता दे कि मज़बूरी इतनी थी,कि रेणुका ने अपनी स्कूली शिक्षा तक के लिए बहुत संघर्ष किया था। और अपनी पढ़ाई के लिए उन्हें कई घरो में खुशामद करनी पड़ती थी। और सेवा करनी पड़ती थी। इन सब कामो क साथ साथ रेणुका को एक मंदिर में पंडित के तौर पर भी काम करना था, जहां पर उन्हें करीब 1 साल तक काम करना पडा। इसी दौरान उनके पिता ने भी उनका नाम एक आश्रम में लिखवा दिया था। जहाँ पर उन्हें सिर्फ सुबह के 8 बजे और श्याम के 8 बजे खाना मिलता था। लेकिन भूख के कारण रेणुका की स्तिथि बहुत ख़राब हो गयी थी। जिस कारण से वो ठीक से पढ़ नहीं पाए,और फैल हो गए थे।

पिता का अचानक निधन

रेणुका पर दुखो का पहाड़ तो तब टूटा, जब उनके पिता का अचानक से निधन हो गया था। और सारी जिम्मेदारियां उनके सर पर आ गयी। और बहुत ही कम उम्र में उन्होंने सारा जिम्मेदारी का भार संभाल लिया था। और घर के खर्चे के गुज़ारे के लिए उन्होंने कई जगह काम किया। और काम करते करते उन्हें बहुत अनुभव भी हो गया। उन्होंने कभी सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की, तो कहीं पर उन्होंने किसी कम्पनी में काम किए। और उन्होंने कई ट्रेवल एजेंसी में भी काम किए।

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 रेणुका ने शुरू किया Pravasi Cabs Pvt.Ltd.
रेणुका ने शुरू किया Pravasi Cabs Pvt.Ltd.

शुरू किया Pravasi Cabs Pvt.Ltd. नाम से बिज़नेस

कई साल बतौर ड्राइवर काम करके रेणुका को काफी अनुभव और ज्ञान हो गया था। था। और उन्होंने खुद की ट्रेवल एजेंसी शुरू करने के बारे में सोचा। और शुरू किया Pravasi Cabs Pvt.Ltd. जो कि धीरे धीरे सभी की पसंद बन गयी ,और रेणुका की कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि कभी एक एक रुपए की भीख मांगने वाला ये शख्स आज करोड़ो का काम कर रहा है।

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