ये पति-पत्नी बोल सुन नहीं सकते, लेकिन ज़िंदगी की जीत में सबसे आगे है, ठेला लगाकर चलाते है जीवन, पानीपुरी के लिए लगती है लम्बी लाइन

कुछ लोग इस दुनिया में ऐसे होते है, जो सफलता का एक नया नया ही आयाम देते ,है। या फिर एक अलग ही परिभाषा देते है। और ऐसे कुछ दम्पत्ति भी है। जो कि एक अनोखे बिज़नेस से न सिर्फ अच्छी खासी कमाई कर रहे है, बल्कि एक नाम भी कमा रहे है। और अपनी एक खास पहचान बना रहे है। और उनकी सफलता की कहानिया वाकई में आप सभी के लिए एक प्रेरणा मिल सकती। है और उसे आप अपने जीवन में भी उतार सकते है। और एक सफलता स्वयं भी हासिल कर सकते है। और आज के इस खास लेख में हम लेकर आये है, एक ऐसी खबर जिसे जान्ने के बाद आप भी उत्साह से भर जाओगे। क्योकि ये वाकई में जानना आवयश्यक हो जाता है, कि, कोई भी इंसान अपने जीवन के उतार चढ़ावो को कैसे सम्भलता है। और एक मिसाल देता है। आज के इस लेख में हम एक ऐसे खास दम्पत्ति की बात करेंगे, जो कि सुनने और बोलने में असक्षम है, लेकिन वो आज अपने अच्छे खासे बिज़नेस पानीपुरी से अच्छी कमाई भी कर रहे है, और एक मिसाल भी पेश कर रहे है। आईये जानते है उनके बारे में।

बोल और सुन नहीं सकते, लेकिन चलाते है ठेला
बोल और सुन नहीं सकते, लेकिन चलाते है ठेला

बोल और सुन नहीं सकते, लेकिन चलाते है पानीपुरी ठेला

अक्सर हम ये सोचते है, कि एक दिव्यांग की ज़िंदगी कितनी मुश्किल हो जाती है। और एक सामान्य जीवन की कल्पना करना कितना कठिन हो जाता है। क्योकि जीव जीने के दौरान बहुत सी कठिनाईयो का सामना सामना करना पड़ जाता है। और आज हम जिस दम्पत्ति की बात कर रहे है, वे न ही बोल सकते है, और न ही सुन सकते है। लेकिन वे अपना एक सफल बिज़नेस चला रहे रहे है। आज के समय में कई लोग ऐसे है, जो कि ज़रा सी कोई परेशानी होने पर ज़िंदगी से हारकर बैठ जाते है, लेकिन ये दम्पत्ति जो बोलने और सुनने में दिक्कत है, लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी है।

बेचते है पानीपुरी और दही पूरी
बेचते है पानीपुरी और दही पूरी

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बेचते है पानीपुरी और दही पूरी

दिव्यांग होने के बावजूद भी ये दम्पत्ति अपनी खुद की मेहनत से कार्य करते है। और मेहनत से ही ठेला लगाते है। और ठेले पर ही वो पानीपुरी बेचते है। और उनके हाथ की पानीपुरी का स्वाद इतना अच्छा होता है, कि लोग लाइन लगाकर गोलगप्पे खाते है। और सभी को बहुत पसंद आते है।

दिव्यांग होने के बावजूद भी ये दम्पत्ति अपनी खुद की मेहनत से कार्य करते है।
दिव्यांग होने के बावजूद भी ये दम्पत्ति अपनी खुद की मेहनत से कार्य करते है।

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