कभी मुंबई की सड़को पर बैग बेचने को मजबूर था ये शख्स, और आज बैग की करोड़ो की कम्पनी खड़ी कर दी थी, ऐसी कहानी है तुषार जैन की

हमे जीवन में कई बार बहुत मुश्किल समय देखना पड़ता है। और हम सकते में रह जाते है कि, हम उस मुश्किल से बाहर कैसे आये ? लेकिन ये हम पर निर्भर करता है। कि हम मुश्किल का समाधान कैसे निकालते है। काई बार जीवन में इतना कठिन समय भी सकता है कि, हमे हर बुरे दिन का सामना भी करना पड जाता है आज हम जिस शख्स की कहानी यहाँ लेकर आये है ,उनका नाम है, तुषार जैन। जिन्हे एक वक़्त पर सड़को पर बैग बेचने के लिए मजबूर होना पड़ गया था। लेकिन आज वो एक बहुत बड़ी बैग्स की ही कम्पनी के मालिक बन गए है , लेकिन ऐसा क्या हो गया कि, उन्हें उस इस तरह से मुंबई की सड़को पर बैग बेचने के लिए मजबूर होना पड़ गया था। आज तुषार जैन तुषार जैन हाई स्पिरिट कमर्शियल वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी के मालिक है।

क्यों बेचने पड़ गए सड़को पर बैग्स
क्यों बेचने पड़ गए सड़को पर बैग्स

क्यों बेचने पड़ गए सड़को पर बैग्स

एक समय तुषार जैन के लिए ऐसा समय भी था, कि उन्हें मुंबई के सड़को पर बैग रक बेचने को मजबूर होना पड़ गया था। दरअसल 1992 में बहुत से लोगों ने स्टॉक ब्रोकर हर्षद मेहता घोटाले में अपने पैसे फंसा दिए थे। जिसके चलते कई लोगो को बहुत परेशानी हुई। और उनमे तुषार जैन के पिता जी मूलचंद के पैसे भी फस गए थे। जिसके बाद, तुषार जैन के पिता मूलचंद अपने बेटे के साथ मुंबई की सड़को पर बैग्स बेचने के लिए मजबूर होना पड़ गया था। जिसके बाद उन्हें काफी परेशानी हो गयी थी। क्योकि उस वक़्त खाने पीने तक के लाले पड़ गए थे।

साल 2012 में शुरू की कम्पनी
साल 2012 में शुरू की कम्पनी

तुषार जैन साल 2012 में शुरू की कम्पनी

साल 2012 में तुषार जैन के लिए बहुत किस्मत वाला रहा क्योकि उन्होंने इसी साल अपनी खुद की कम्पनी हाई स्पिरिट कमर्शियल वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से शुरुआत की। और तुषार की ये कम्पनी विश्व की 4thi सबसे बड़ी बैग बनाने वाली कम्पनियो में से एक है। और उनका व्यापार सिर्फ देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कोनो में भी फैला हुआ है। आज उनके ये कम्पनी करीब 250 करोड़ का टर्न ओवर भी कमा चुकी है।

तुषार जैन के लिए ऐसा समय भी था, कि उन्हें मुंबई के सड़को पर बैग रक बेचने को मजबूर होना पड़ गया था।
तुषार जैन के लिए ऐसा समय भी था, कि उन्हें मुंबई के सड़को पर बैग रक बेचने को मजबूर होना पड़ गया था।

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बनाती है 30 से 35 हज़ार बैग एक दिन में

2014 के आंकड़ों को देखे, तो तब तुषार की कम्पनी 10 से 20,000 बैग्स बनती थी। लेकिन साल 2017 में ये आकंड़ा दुगना हो गया। और अब तुषार की ये कम्पनी करीबन 30 से 35 हज़ार तक बैग्स भी बनाती है।

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