रानी उर्फ़ कुशमा ये वो नाम है, जिसके बारे में आपको ज़रूर जानना चाहिए । क्योकि गुमनामी के इस अँधेरे से ही हम आपके लिए कुछ ऐसी प्रेरणा दायी और खास कहानियां लेकर आये रहते है।और आपने बहुत से ऐसे लोग भी देखने होंगे, जो एनिमल लवर यानी की जानवर प्रेमी होंगी। और आपने कई लोगो को घर में कई तरह के जानवर रखते हुए और पालते हुए देखा होगा। लेकिन क्या हमने कभी गंभीरता से उन जानवरो के बारे में सोचा है। जिन्हे मौसम की मार के चलते अपनी मासूमियत की बलि देनी पड़ती है। और बहुत से जानवरो को सिर्फ इसलिए किसी का शिकार बनना पड़ता है, क्योकि वो मानव के जीवन में खलल डालता है। लेकिन हमे ये क्यों भूल जाते है , कि इस प्रकृति पर उनका भी उतना ही हक़ है, जितना कि एक मनुष्य का। और मानव सिर्फ अपनी बस्ती बसाने के लिए उन्हें उजाड़कर चला जारा है। लेकिन इसी दुनिया में कुछ भले लोग भी है। जो कि उनकी पूरी जिम्मेदारी का बेडा उठाते है ।आज की कहानी समर्पित है रानी उर्फ़ कुशमा जी को, जो कि पिछले 8 सालो से इन बेज़ुबान जानवरो की सेवा कर रही है।
बाँदा जिले की है ये महिला रानी जी
बता दे कि इस नेगदिल और अच्छी महिला नाम है रानी उर्फ़ कुशमा। जो कि 60 साल की है। और ये महिला पिछले 8 सालो से इन बेज़ुबान बंदरो के लिए अपना खुद का घर छोड़कर उनके साथ ही जंगल में ही रह रही है। और उनकी देखभाल कर रही है। ये वाकई में ही बहुत सराहनीय बात है। क्योकि बहुत कम ही ऐसे लोग होते है, जो कि पूरी तरह से जानवरो के लिए अपने आप को समर्पित कर देते है।
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रानी उर्फ़ कुशमा छोड़ दिया अपना घर, रह रही है कुटिया में
सबसे बड़ी और खास बात तो ये है कि, इस , 60 वर्षीय महिला ने इन जानवरो की मदद के लिए खुद को कुछ इस तरह से समर्पित किया कि, उन्होंने अपना घर तक त्याग दिया था। और अब वे इन बंदरो की देखभाल करने के लिए खुद ही एक देवी स्थान के पास रह रही है। और एक कुटिया में रह रही है। वाकाई में ऐसे महिला को सलाम है।
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