जीवन के संघर्षो का किसी को कोई अन्दाज़ा नहीं है। कि कब और कितने संघर्षो का पड़ाव जीवन में देखना पड़ेगा। लेकिन असल में संघर्ष से ही हमे जीवन की असली कीमत समझमे आती है। और इनका होना जीवन में बहुत ज़रूरी होता है। आज हम आपको एक ऐसी सफलता की कहानी सुनाने वाले है, जो कि आपको प्रेरणा से भर देगी। और आप भी उसी प्रेरित हो उठोगे। हम बात कर रहे है बीएम बालकृष्णा की जो क़ी आंध्र प्रदेश के रहने वाले है। और उनके जीवन में एक में समय ऐसा था कि, उन्हें जीवन गुज़ारे के लिए कार तक धुलकर की नौकरी की। वो भी महज़ 500 रुपए के लिए। लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत से ये मुकाम हासिल किया है।
आंध्र प्रदेश से है बीएम बालकृष्णा
बता दे कि बीएम बालकृष्णा जी आंध्र प्रदेश के रहने वाले है। और वे एक बहुत ही साधारण परिवार से सम्बन्ध रखते है। उनके परिवार में डेरी प्लान के काम की वजह से खर्च निकल तो जाता है। लेकिन फिर भी परेशानियां तो बहुत है और इसलिए बीएम के घर में भी दिक्क़ते बहुत थी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, बल्कि उन्होंने तो घर की मुश्किलो में हाथ बंटाने के लिए खुद भी नौकरी की। उनके पिता एक किसान थे और उनकी माता आंगनवाड़ी में शिक्षिका थी और साथ हीं सिलाई-बुनाई का भी काम भी करती थी। जिससे कि घर की ज़रूरते पूरी हो सके। बालकृष्ण के पिता चाहते थे कि, वह पढ़े लिखे , तथा कुछ काम करे। लेकिन बालकृष्ण जी पढ़ना नहीं चाहते थे। और बल्कि अपना खुद का काम करना चाहते थे। लेकिन माता पिता के संघर्ष देखकर उन्होंने पढ़ाई में भी ध्यान दिया।
शुरू की नौकरी की तलाश
बालकृष्ण ने अपनी माता जी से घर से 1000 रुपए लेकर निकले थे। और वही लेकर घर से नौकरी की तलाश में निकल पड़े थे। जिसके बाद उन्होंने माता जी के कहें पर चेन्नई में नौकरी ढूंढ़ना शुरू किया। और फिर उन्हें एक एक नौकरी जो कि कार धुलने की थी, मिल गयी। उन्होंने कुछ समय तक कार धुलकर गुज़ारा चलाया। और तब भी उन के मन में एक एक बिज़नेस का सपना पल रहा था।
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2010 मे शुरू किया खुद का काम
साल 2010 में बालकृष्णा ने अपने खुद के PF के करीब 1.27 लाख रुपए थे। उन्हें इस्तेमाल करके अपने खुद का बिज़नेस शुरू किया। जिसका नाम था एक्वापॉट। जो कि आज दुनिया की 20 सबसे बेहतरीन कम्पनियो में से एक है। और अच्छी प्यूरीफायर कम्पनी है , और आज एक्वापॉट का बिज़नेस ही करीब 25 करोड़ से ऊपर है।
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