किसी भी लड़की के लिए शायद ये बात बहुत सोचने वाली हो सकती है, कि रेड लाइट एरिया में जीवन कितना डरावना होता होगा। लेकिन इन्ही में से एक ज़िंदगी संवरकर निकलकर आयी। और पहुंच गयी अमेरिका के कॉलेज तक। जी हाँ हम बात कर रहे है श्वेता कट्टी की। जिनका जन्म एक रेड लाइट एरिया में हुआ था। लेकिन उन्होंने मुश्किलों में रहकर भी हार नहीं मानी। और छात्रवृति के ज़रिये उन्हें अमेरिका के बेस्ट कॉलेज में जाने का अवसर मिला। और वो पहुंच गयी अमेरिका की यूनिवर्सिटी में। उनकी कहानी सिर्फ देश के लिए ही नहीं बल्कि, अमेरिका जैसे देश के लिए भी प्रेरणादायक है।
मुंबई के रेड लाइट एरिया में जन्मी है श्वेता कट्टी
बता दे कि, श्वेता कट्टी का जन्म मुंबई के एक रेड लाइट एरिया में हुआ है। और इस रेड लाइट एरिया का नाम है ,कमाठीपुरा। जहाँ पर आपने गंगुबाई जो की एक सेक्स वर्कर है की कहानी ज़रूर सुनी होंगी। श्वेता का जन्म भले ही ऐसे इलाके में हुआ, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। और अपनी मेहनत से सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दिया। और लगन से भी पढ़ाई की।और उनकी ये कहानी अमेरीका के लिए भी प्रेरणा बन गयी। जिसके कारण उन्हें अमेरिका की तरफ से 28 एक लाख रुपए की छात्रवृति मिली गयी।
यौन शोषण का भी हो चुकी है शिकार
बता दे कि, श्वेता एक रेड लाइट एरिया में जन्मी थी, जो कि लड़कियों के लिए बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। और किसी भी लड़की के लिए ये डरकर जीने वाली बात हो सकती है। मात्र 9 साल की उम्र में श्वेता के किसी करीबी ने ही उनके साथ गलत हरकत कर दी थी। जिसके बाद वो ओर भी सहम गयी थी। और उनके काले रंग की वजह से उन्हें स्कूल में सब उन्हें चिड़ाते थे।
2012 में जुड़ी क्रांति नामक संसथान से
साल 2012 में श्वेता ने एक संसथान ज्वाइन किया जिसका नाम था क्रांति । और इसमें उन्होंने एक नई राह मिल पायी। क्योकि जिन हालातों में श्वेता पली बड़ी थी , उन्हें खुद से घिन होने लगी थी। लेकिन इस NGO ने उन्हें खुद से प्यार करना सिखाया। और इसका बाद श्वेता और भी लड़कीयो के लिए प्रेरणा बन गयी है।
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श्वेता कट्टी मिल गयी 28 लाख रुपए की स्कॉलरशिप
जिसके बारे में श्वेता ने कभी सोचा भी नहीं था। उन्हें मिल गया। श्वेता को उनकी मेहनत और लगन के कारण अमेरिका कॉलेज बोर्ड ने करीब 28 लाख रुपए का वजीफा उपलब्ध करवाया। और उसके बाद वो अमेरिका कॉलेज में गयी। इसमें उनकी मदद उनके एक दोस्त ने की। जिन्होंने श्वेता की कहानी अमेरिका के कॉलेज बोर्ड तक पंहुचा दी थी।
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