जिसके दो जवान बेटे चले गए हो, वो भला कैसे जीए, लेकिन बुढ़ापे में देसराज ने हिम्मत नहीं हारी, पोती के लिए घर तक बेच दिया, ऑटो में ही होता है खाना पीना

किसी भी बुजुर्ग के लिए बुढ़ापे से भी बड़ा दुःख होता है, जब उसके बेटे उसकी आँखों के सामने दम तोड़े दे, ऐसे में हिम्मत खत्म हो जाती है। और जीने की उम्मीद भी खत्म हो जाती है।मुंबई के देसराज के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, उन्होंने दो जवान बेटो को अपने सामने मरते हुए देखा। और उनका अंतिम संस्कार भी किया। लेकिन अपने आप को टूटने नहीं दिया। और हिम्मत नहीं हारी। अब वो अपनी पोती के लिए जीना चाहते है। और उसकी पढ़ाई के लिए उन्होंने अपना घर भी बेच दिया। और ऑटो में ही रहते है, खाते पीते है। अब ऑटो ही उनका घर है। मुंबई के रहने वाले देसराज ने एक मिसाल कायम की है। और उन्होंने ये दिखा दिया कि अगर हिम्मत की जाए तो हर मुश्किल पार की जा सकती है। उनकी कहानी दिल को छू लेने वाली है। और उनकी कहानी सुनकर हर किसी की आँखों में आंसू आ जाते है। लेकिन इसलिए उनकी हेल्प करने के लिए आगे भी आ रहे है।

देसराज के सर पर दुखो का पहाड़ तब टूट पडा, जब उनके दो जवान बेटो को मौत हो गयी।
देसराज के सर पर दुखो का पहाड़ तब टूट पडा, जब उनके दो जवान बेटो को मौत हो गयी।

दो जवान बेटे का हो गया निधन

देसराज के सर पर दुखो का पहाड़ तब टूट पडा, जब उनके दो जवान बेटो को मौत हो गयी। एक दिन उनका बड़ा बेटा घर से गया, और फिर कभी नहीं लौटा। इसी तरह से एक दिन अचानक उनका दूसरे बेटे की लाश मिली। देसराज कहते है कि उन्हें रोने का मौका भी नहीं मिला। इतने दुःख के समय में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, और सारे परिवार की जिम्मेदारियां संभाली। ऐसे में बहु और पोते पोतियो की सारी जिम्मेदारी उन्होंने बखूबी संभाली। और सबसे खास बात तो ये है कि वो हमेशा मुस्कुराते रहते है। और हमेशा खुश रहते है। आप उनकी ये मुस्कुराते हए तस्वीर भी देख सकते है।

देसराज ने पोती को पढ़ाने के लिए बेच दिया घर
देसराज ने पोती को पढ़ाने के लिए बेच दिया घर

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पोती को पढ़ाने के लिए बेच दिया घर

देसराज ने बताया कि, एक समय पर हम पर इतनी मज़बूरी थी, कि खाने के लिए नहीं होता था। लेकिन जब उनकी पोती के कक्षा 12 में 80 % मार्क्स आये थे, तब वो बहुत खुश हुए, और उन्होंने अपनी ऑटो रिक्शा में सभी को फ्री में ड्राइव दी ,और उनसे कोई पैसा नहीं लिया, उस दिन उन्हें महसूस हुआ कि, उन्हें उनकी मेहनत की कीमत मिलने लगी है। उनकी पोती ने इच्छा जताई कि उन्हें B.ed करना है, इसके लिए उनके पास फीस भरने के पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने घर ही बेच दिया। ये वाकई बहुत हिम्मत वाली बात थी। अब वो ऑटो में ही रहकर गुज़ारा करते है। उसी में खाते पीते है।

देसराज की कहानी दिल को छू लेने वाली है
देसराज की कहानी दिल को छू लेने वाली है

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