भारत परम्पराओ का देश है। और यहाँ की संस्कृति सबसे अलग है। क्योकि यहाँ पर हर रिवाज़ का अपना अलग महत्व है। और ऐसी ही एक अलग परंपरा है, कि बेटे ही पिता की अर्थी को कन्धा देते है। और आज की इस खास खबर में हम बात करेंगे, कि, एक घर की बेटियों ने इस रीती को बिलकुल उलट साबित किया है। और बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कन्धा दिया है। जो कि बहुत अलग बात है। और हम अक्सर आपके सामने कुछ खास खबरे लेकर आते रहते है। जिससे समाज की ऐसी अनोखी तस्वीरें आपके सामने आती रहती है। जो कुछ खास महत्व रखती है। ये मामला उत्तर प्रदेश का है। और जहाँ भाईयो के होते हुए भी बेटियों ने अपने पिता की मृत्यु होने पर उनकी अर्थी को कन्धा दिया है। और समाज की बेड़ियों को तोड़ने का काम किया है। ‘क्योकि समाज में यही अर्थी परंपरा चली आ रही है, कि पिता के शव को उसके बेटे ही कन्धा देते है। लेकिन इन बेटियों ने अपने पिता को कन्धा देकर वाकई में ही समाज को जवाब देने का काम किया है। आईये जानते है, इस खास खबर के बारे में।
उत्तर प्रदेश के झाँसी की है ये घटना (अर्थी)
बता दे कि, ये खास खबर उत्तर प्रदेश के झाँसी की बताई जा रही है। और ये वाकई में ही बहुत अलग खबर है। बेटे होने के बाद भी घर की चार बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कन्धा दिया है। और संस्कार प्रक्रिया को पूरा किया है। और ऐसे बदलाव वाकई में ही समाज में होने ज़रूरी है। क्योकि सालो से चली आ रही ये प्रथाओं का अपना अलग महत्व है, लेकिन अगर किसी भी वर्ग का कोई अहित होता है, तो इनमे बदलाव ज़रूरी है।
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बेटो के होते भी बेटियों ने क्यों दिया कन्धा
बता दे कि, जिले के नवाबाद थाना क्षेत्र के डडियापुरा गल्ला मंडी रोड निवासी गौरेलाल साहू की बीते शुक्रवार को हार्ट अटैक आने से मृत्यू हो गई थी। जिसके बाद उनके घर पर भीड़ उमड़ रही थी। और उनका अंतिम संस्कार करने की प्रक्रिया होनी थी। लेकिन ऐसा क्या हुआ, कि, बेटो के होते हुए भी घर की बेटियों ने पिता की अर्थी को कन्धा दिया ? दरअसल मृतक का बेटा उससे आये दिन लड़ता रहता था। और उसकी बहने अपने पिता की सेवा और देखभाल करती थी। जिसके कारण उनके अंतिम समय में सिर्फ उनकी बेटियों ने ही उनकी अर्थी को कन्धा दिया।
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